चिपको आंदोलन- 26 मार्च 1947 को वर्तमान उत्तराखंड के रैणी गांव के जंगलों में लगभग 25000 पेड़ों की कटाई के लिए सरकारी नीलामी थी इस कटाई को रोकने के लिए गोरा देवी तथा अन्य स्थानीय महिलाएं कटाई और नीलामी के विरोध में पेड़ों को पकड़कर उससे चिपक कर खड़ी हो गई इसलिए इस आंदोलन को चिपको आंदोलन कहा जाता है|
यह विरोध शांतिपूर्ण एवं अहिंसक विरोध प्रदर्शन रहा व्यवसाय के लिए हो रहे वनों की कटाई को रोकना चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था इस भारी विरोध और पर्यावरण के प्रति संवेदना देखकर अंत में सरकार के साथ अन्य जीव अधिकारियों ने गोरा देवी की बात को स्वीकार कर लिया इसके साथ ही वनों की नीलामी बंद कर दी गई,
इस आंदोलन के प्रमुख जनक ,सुंदरलाल बहुगुणा, गौरा देवी, चंडी प्रसाद भट्ट तथा अन्य कार्यकर्ताओं के साथ इस आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता प्रमुखतः रही इस आंदोलन का असर देश भर में देखा गया इसके साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अन्य स्थानों पर भी कुछ इसी तरह के आंदोलन हिमाचल प्रदेश दक्षिण कर्नाटक पश्चिमी राजस्थान पूर्व बिहार और मध्य भारत में देखे गए इस आंदोलन के साथ ही वि़ध्य पर्वतमाला की वृक्ष की कटाई को रोकने में सफलता प्राप्त की गई यह आंदोलन पर्यावरण के प्रति जागरूकता सचेतना और नीतियों के प्रति बहुत सफल आंदोलन रहा!
पर्यावरण की प्रमुख आंदोलन
1 विश्नोई आंदोलन
2 साइलेंट वैली आंदोलन
3 नर्मदा बचाओ आंदोलन
4 जंगल बचाओ आंदोलन
5 नवदन्या आंदोलन
6 अप्पिको आंदोलन
7गंगा बचाओ आंदोलन-
1 विश्नोई आंदोलन- 15 वी शताब्दी में राजस्थान में एक संत थे जिनका नाम संत जांभोजी था जिन्हें स्थानीय लोग भगवान जांगेश्वर भी कहते थे विश्नोई आंदोलन इनके द्वारा शुरू किया गया था संत जांभोजी को मानने वाले लोगों मे विश्नोई समुदाय के लोगो द्वारा वृक्ष की पूजा और संरक्षण किया जाता है |
इस आंदोलन से सीख सन 17 से 30 ईसवी में अमृता देवी विश्नोई ने अपनी तीन बेटियों सहित वनों की कटाई को रोकने के लिए अपने प्राण दे दिए इस आंदोलन को के खेजरल आंदोलन भी कहते हैं राजस्थान की सरकार इन्हीं के नाम पर पर्यावरण संरक्षण व्यक्तियों और संस्थानों को अमृता देवी पर्यावरण पुरस्कार देती है|
संत गुरु जागेश्वर द्वारा बनाए गए नियमों का विश्नोई समुदाय पूरा पालन करता है वहीं इसके समृद्धिकरण के लिए पूरा प्रयास भी करता है इस आंदोलन से समझा जा सकता है कि पर्यावरण सरक्षण की जागरूकता व प्रेम प्राचीन समय से ही अधिक दृढ़ता से हो रहा है
2 साइलेंट वैली आंदोलन- साइलेंट वैली का क्षेत्र केरल एवं तमिलनाडु के अंतर्गत आता है साइलेंट वैली वह क्षेत्र है जोकि अत्याधिक घना है और घना होने की वजह से क्षेत्र एकदम शांत रहता है इसलिए से शांत घाटी व इंग्लिश में साइलेंट वैली कहा जाता है|
इस क्षेत्र में लगने वाले जल विद्युत प्रोजेक्ट के विरोध में किया गया है प्रोजेक्ट किया राज्य के पलक्कड़ जिले के सदाबहार उष्णकटिबंधीय वनों को बचाने के लिए साइलेंट वैली आंदोलन शुरू हुआ ज्ञात है कि साइलेंट वैली जैव मंडल क्षेत्र के लिए विख्यात है यहां दुर्लभ प्रजातियां पौधे एवं जंतुओं की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं अगर यहां जलविद्युत प्रोजेक्ट चालू होता तो यहां की प्राकृतिक सुंदरता एवं विविधता नष्ट होने का पूरा खाता था इसलिए यह आंदोलन पयार्वरण संरक्षण हेतु कारागार साबित हुआ
3 नर्मदा बचाओ आंदोलन- यह आंदोलन नर्मदा नदी नदी के ऊपर बनाई जा रही बहुउद्देश्यीय बांध परियोजना को रोकने के लिए चलाया गया इस आंदोलन का नेतृत्व मेधा पाटेकर बाबा आमटे एवं अरुंधित राय द्वारा किया गया यह आंदोलन आदिवासियों किसानों एवं पर्यावरण प्रेमियों के द्वारा चलाया गया यह आंदोलन नर्मदा नदी पर बन रहे बड़े-बड़े बांध एवं जल विद्युत प्रोजेक्ट के द्वारा एवं प्रकृति के ऊपर पढ़ रहे प्रभावो को रोकने के लिए किया गया
4 जंगल बचाओ आंदोलन- इस आंदोलन की शुरुआत बिहार से हुई 1980 के समय में बिहार से शुरू हुआ यह आंदोलन झारखंड तथा उड़ीसा के क्षेत्र तक फैला सरकार ने जंगल की कटाई करने के लिए एक योजना बनाई जिसके अंतर्गत जंगलों को काट कर नए सागोना कि वृक्षों को लगाने की नीति थी इसका विरोध बिहार के सिंहभूम जिले के आदिवासियों के द्वारा शुरू किया गया इस विरोध के कारण जंगलों को बचाया गया व सरकार की व्यवसायिक सोच को "A Great Game Of political populism" कहां गया
5नवदन्या आंदोलन -सन् 1982 में शुरू किया गया नवदन्या की स्थापना सन 1982 में वरना शिवा द्वारा की गई इसका लक्ष्य जैव विविधता पर्यावरण एवं वन्य जीव का संरक्षण एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करना था इस आंदोलन की सहायता से किसानों को सही जानकारी के साथ उनके लाभ की खेती करना सिखाया उनकी फसल के लिए बाजार उपलब्ध कराएं
6 अप्पिको आंदोलन- जिस प्रकार से सन 1974 में उत्तराखंड में चिपको आंदोलन हुआ और पर्यावरण संरक्षण के पहल को सफल बनाया गया उसी से प्रेरित होकर उसी के तर्ज में दक्षिण भारत में चिपको आंदोलन चलाया गया जैसे दक्षिण भारत में अप्पिको का नाम दिया गया जिसका अर्थ होता है गले लगाना
7 गंगा बचाओ आंदोलन- आंदोलन गंगा में बांट रहे प्रदूषण को कम करने तथा उसे स्वच्छ रखने के लिए व्यापक स्तर मुख्य रूप से गंगा के प्रवाह क्षेत्रों में क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश और बिहार में चलाया गया इस आंदोलन में मुख्य रूप से धार्मिक नेताओं अध्यात्मवादियों राजनीतिज्ञों विज्ञान को पर्यावरणविदों द्वारा चलाया गया गंगा को पवित्र रखने के लिए इस आंदोलन में सरकार द्वारा भी प्रति वर्ष कई करोड़ रुपए बाय किए जा रही है फिर भी गंगा में प्रदूषण अब भी वैसा का वैसा है धन्यवाद भाई साहब
मोती आंदोलन- मोती आंदोलन की शुरुआत सन 1944 में उत्तराखंड के चमोली जिले में कल्याण सिह रावत द्वारा चलाया गया कल्याण सिंह रावत द्वारा शादी के समय जूता चोरी की रस्म में नेग की परंपरा को खत्म करते हुए दूल्हे के द्वारा लड़की के घर में एक पेड़ लगाने की रस्में को शुरूआत किया उत्तराखंड में मायके को मैती कहा जाता है इसलिए इस आंदोलन का नाम मैती आंदोलन पड़ा सुंदर विचार दिए दिए आसपास के राज्यों में भी फैला और एक विशाल आंदोलन बनकर सामने
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